प्रभाकर प्रभु जी के संचालन में एतवार को आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन बड़ा ही मनमोहक और शानदार रहा जिसमें सभी कलमकारों ने कार्यक्रम के पहले दिन ही अपने काव्य अभिव्यक्त कर अपना विशेष छाप छोड़ी।
विशेष रूप से राजेश मंझवेकर सर, आंशु भाई साहब और रेजा तस्लीम भाई ने मां की रचना से कार्यक्रम को माँ मय कर दिया।
खुशी जी का पुत्र प्रेम की रचना, प्रभाकर प्रभु भाई की तरन्नुम में ग़ज़लें, नांदा जी की ग़ज़लें,सागर
जी की छंदमुक्त कविताएं सब सराहनीय थी। कविता गीत के अलावे भी जो बातें राजेश मंझवेकर जी, आशु भाई,प्रभु भाई ने जो कही वो अत्यंत आवश्यक, संवेदनशील, कर्ण प्रिय और साहित्य जगत में आने
के लिए ज़रूरी भी था। आपलोगों ने मेरे तारीफ में बड़े बड़े शब्दों का जो उच्चारण किया उसके लिए आभार, हालांकि मैं अभी उस काबिल नहीं हुआ हूँ बस आपलोग ये साहित्य और सांस्कृतिक कारवां को प्यार दें साथ दें। आज के कार्यक्रम को सुंदर बनाने के लिए आपलोगों को बहुत बहुत धन्यवाद व स्नेह।
– गौतम कुमार (शिक्षक, कवि, मगही शिक्षाविद, ग्राम आती, नवादा)
शब्दशिल्पियों ने बिखरे अनेक रंग कला व सांस्कृतिक मंच आंती के प्रयास से हुआ आयोजन
दस्तक प्रभात प्रतिनिधि

नवादा | काव्य मंजरी के कवि सम्मेलन में मां के जिक्र से सबकी आंखें नम हो गयीं तो आज के माहौल पर काव्य प्रहार होने पर सभी संजीदा हो गए। शब्दों से जोश भरा गया और जमाने की दस्तूरबयानी भी हुई। इस ऑनलाइन प्रयास के क्रम में कवि सम्मेलन के संयोजक सह संचालक राष्ट्रीय कवि प्रभाकर
प्रभु ने अशआर और गजलों से समां बांध दिया । कला व सांस्कृतिक मंच आंती के अध्यक्ष गौतम कुमार सरगम की शायर रेजा तसलीम ने मां तेरी दुआ है साथ मैं संवर जाउंगा… और है इसी कड़ी में कवि शशि कुमार आंसू ने माँ ! सबसे अक्सर पूछता हूँ, तेरी शक्लो-सूरत कैसी थी ? का पाठ कर मंच को रूला दिया। माँ का साया नहीं सर पे मेरे मगर, काम आती है
माँ की दुआ दोस्तों से शायर नादाँ रूपौवी ने मां की परिभाषा को विस्तार दिया । जीते जी तो या खुदा पूछा नहीं, मर गए तो सब दवा करने लगे… से गजलगो प्रभाकर प्रभु और काश तुम यहां मेरे पास होते, तो इन पलों की बात ही कुछ और होती. कवयित्री – अभिनेत्री खुशबू कुमारी ने अपने मन की बात की । कवि – अभिनेता सागर इंडिया ने अतरंगी दुनिया की सैर कराते
हुए बेटियों की कर्मशीलता से परिचय कराया । कार्यक्रम अध्यक्ष कवि गौतम कुमार सरगम ने मगही में शासन में फैलल बीमरिया, कैसे पढ़ीं पढ़ईया ना के बहाने व्यवस्था की पोल खोल डाली । अंत में राजेश मंझवेकर ने काव्य गोष्ठी की विशद समीक्षा की और सभी को साहित्यिक और सांस्कृतिक कारवां को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया ।

मां तेरी दुआ है साथ मैं संवर जाउंगा… हिन्दूस्तान प्रतिनिधि
■ काव्य मंजरी ने जोड़ा शब्दशिल्पियों को, बिखरे कई रंग
■ कला व सांस्कृतिक मंच आंती के प्रयास से हुआ आयोजन
नवादा, नगर संवाददाता। काव्य मंजरी के कवि सम्मेलन में मां के जिक्र से सबकी आंखें नम हो गयीं तो आज के माहौल पर काव्य प्रहार होने पर सभी संजीदा हो गए। शब्दों से जोश भरा गया और जमाने की दस्तूरबयानी भी हुई। इस ऑनलाइन प्रयास के क्रम में कवि सम्मेलन के संयोजक सह संचालक राष्ट्रीय कवि प्रभाकर प्रभु ने अशआर और गजलों से समां बांध दिया। कला व सांस्कृतिक मंच आंती के अध्यक्ष गौतम कुमार सरगम की अध्यक्षता तथा कलमकार राजेश मंझवेकर की बतौर समीक्षक उपस्थिति में सभी कवियों ने अपनी छाप छोड़ी।
शायर रेजा तसलीम ने मां तेरी दुआ है साथ मैं संवर जाउंगा… और राजेश मंझवेकर ने चली गयी फिर दूसरे धाम, राह दिखा रहा जिसका नाम, वो मां थी… का पाठ कर माहौल को नम कर दिया तो इसी कड़ी में कवि शशि कुमार आंसू ने माँ ! सबसे अक्सर पूछता हूँ, तेरी शक्लो-सूरत कैसी थी? का पाठ कर मंच को रूला दिया। माँ का साया नहीं सर पे मेरे मगर, काम आती है माँ की दुआ दोस्तों… से शायर नादाँ रूपौवी ने मां की परिभाषा को विस्तार दिया। कवयित्री – अभिनेत्री खुशबू कुमारी ने अपने मन की बात की। कवि अभिनेता सागर इंडिया ने अतरंगी दुनिया की सैर कराई। कार्यक्रम अध्यक्ष कवि गौतम कुमार सरगम ने मगही में शासन में फैलल बीमरिया, कैसे पढ़ीं पढ़ईया ना… के बहाने व्यवस्था की पोल खोल डाली।

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