मैं कैसे तुमको याद करूँ!
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
किस बात का फरियाद करूं।
मैं देखूं तुमको या बात करूँ।
मैं कैसे तुमको याद करूँ।
मैं कैसे तुमको याद करूँ।।
रोयां रोयां मेरा खील जाता है।
तेरी बातेँ जब याद आती है।।
मैं तन्हा सूरज बस तकता था,
एक रोज़ अचानक तू आयी!
कितने बसंत लो बीत गए,
ना तुम भूली न हम भूले।।
जब मिले थे कितने कच्चे थे,
हाँ हाँ हम शायद तब बच्चे थे।।
पल कैसा था क्या बात करूँ,
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
तुम कैसी थी क्या याद करूं,
दिल करता था तूझे प्यार करूं।
तेरी आँखे आज भी वैसी है,
खट्टी कच्ची कैरी की जैसी है।
जब तब तुम काज़ल करती थी,
तब मन-तन घायल हो जाता था।
इतराती हुई, झनकाती हुई,
तेरी पायल की झंकार सुनूं!
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
तुम कैसी थी क्या याद करूं,
किस पल का अहसास धरूँ!
जब तब तुम बाल में बूंदों को,
बल खाके तुम झटकाती थी!
सच कहता हूँ मर मीट जाता था,
जब मुड़कर तुम मुस्काती थी।
जब देख मुझे मुस्काती थी,
कभी गाती थी, शर्माती थी।
जब धीरे से तेरे सुर्ख होठों से,
‘आँसू’ कहके मुझे बुलाती थी।
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
पल जब भी वो मैं याद करूं
मन फिर पागल हो जाता है।
दिल करता था तूझे प्यार करूं।
बस प्यार करूं बस प्यार करूं।
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
मैं कैसे तुमको याद करूँ!
