मेरी हम-नफ़स किधर जाऊं किस मोड़ मुडूं मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे किस बात पर जियूँ किस बात पर मरूँ मैं,
अब तुम ही कहो।
मेरी हम-नवा किस नगर किस डगर चलूं मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे दिए अश्कों को हलक से कैसे पीयूं मैं,
अब तुम हीं कहो।
मेरी अज़ीज़ किस बात पे हसूं किस बात पे रो लूँ मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे शब्दो के प्रचंड तीक्ष्ण वाण को कैसे झेलूं मैं,
अब तुम हीं कहो।
मेरी हम-दम यकीं तेरे किस बात का करूं मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे सफ़्फ़ाक निगाहों को खूद पर कैसे सहूँ मैं,
अब तुम हीं कहो।
तेरा इश्क़ आग का दरिया है! पार कैसे निकलूं मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे लहरों पर मदमस्त झूमू या अनल विष पीलूं मैं,
अब तुम हीं कहो।
मेरी रफ़ीक़ जज़्बात के दोराहे पर हूं, किस मोड़ मुडूं मैं,
अब तुम ही कहो।
तेरे साथ फूलूँ फलूं या क्षणभंगुर हो जाऊं मैं,
अब तुम ही कहो।
© शशि कुमार आँसू