क्यूँ तुझको लग रहा है कि तुझसे ज़ुदा हूँ मैं
मुझमें तू ख़ुद को देख तेरा आईना हूँ मैं
ऐ दिल सभी ने तोड़ दिया है यक़ीन तेरा
दुनिया की बात क्या करूँ ख़ुद से ख़फ़ा हूँ मैं
बस तेरा आसरा है मुझे ऐ मेरे ख़ुदा
सजदे में तेरे हर घड़ी महवे-दुआ हूँ मैं
अल्लाह रे ज़माना-ए-हाज़िर का क्या करें
हर शख़्स कह रहा है यहाँ पर ख़ुदा हूँ मैं
तेरे बग़ैर मैं तो अधूरी थी शायरी
पहचान हुई ख़ुद से ये जाना सिया हूँ मैं
सिया सचदेव
